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दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बीजेपी का सीएम चेहरा कौन होगा?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बीजेपी का सीएम चेहरा कौन होगा?

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद बीजेपी का सीएम चेहरा कौन होगा, इस पर मंथन शुरू हो गया है. सीएम चेहरे के चयन के लिए दो दिन बाद यानी 19 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें औपचारिक रूप से दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी, जबकि 20 फरवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण आयोजित किया जाएगा.

सूत्रों की मानें तो बीजेपी को तलाश ऐसे चेहरे की है, जिसके जरिए दिल्ली ही नहीं देशभर में संदेश जाए. ऐसा चेहरा हो जो लो प्रोफाइल रहते हुए पीएम नरेंद्र मोदी विजन को आगे बढ़ाए. मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी किन फैक्टर का ख्याल कर सकती है. आइए आपको बताते हैं.

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महिला फैक्टर

महिला वर्ग आज देश में बड़ा वोटबैंक बन चुका है. पीएम नरेंद्र मोदी पहले ही महिला बिल के जरिए इस वर्ग को साधने की बड़ी कोशिश कर चुके हैं. एनडीए शासित 20 राज्यों में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है, ऐसे में बीजेपी किसी महिला को आगे कर देश में बड़ा संदेश दे सकती है. फिलहाल विधायक दल की बैठक में तय होगा.

व्यापारी वर्ग फैक्टर

वैश्य और व्यापारी वर्ग बीजेपी का सबसे बड़ा और अटूट कोर वोटर माना जाता है. दिल्ली में इस वर्ग का वर्चस्व भी है. आने वाले समय में चुनावी राज्य बिहार में भी वैश्य आबादी अच्छी खासी है. अगर इन सभी समीकरणों को पार्टी ने देखा तो वैश्य वर्ग के चेहरे को मौका मिल सकता है.

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पंजाबी फैक्टर

दिल्ली में पंजाबी और सिक्ख वोटर सबसे मजबूत और महत्वपूर्ण माना जाता है. बीजेपी पंजाब में अब तक मजबूत नहीं हो सकी है. अगर बीजेपी दिल्ली से लेकर पंजाब तक के समीकरणों को साधना चाहेगी तो किसी पंजाबी चेहरे को कमान मिल सकती है. दिल्ली में पंजाबी और सिख समुदाय को मिलाकर करीब 30 प्रतिशत बताई जाती है. बीजेपी इस बार एक छोड़ सभी पंजाबी मतदाता बहुल सीटें जीतने में सफल रही है. ऐसे में इस वर्ग से ताल्लुक रहने वाले किसी नेता की लॉटरी लग सकती है.

पूर्वांचल फैक्टर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद संबोधन में पूर्वांचल के मतदाताओं का विशेष आभार जताया था. पुर्वांचल बहुल सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही. चूंकि साल के आखिर में बिहार में चुनाव है तो बीजेपी किसी पूर्वांचली चेहरे को भी कुर्सीं सौंपने का दांव चल सकती है.

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दलित फैक्टर

दिल्ली में 17 प्रतिशत से अधिक दलित आबादी है. आरक्षित 12 में से सिर्फ 4 सीटें ही जीतने में पार्टी सफल हुई. दूसरी तरफ, जिस तरह से विपक्ष संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर बीजेपी को देशभर में घेरने की कोशिश करता है, उससे बीजेपी किसी दलित चेहरे के जरिए भी देश में संदेश दे सकती है.

ये हैं प्रबल दावेदार

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अगर नई दिल्ली सीट और केजरीवाल को हराने को ही मुख्यमंत्री का पैमाना बनाया गया तो प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे है.
महिलाओं में रेखा गुप्ता या शिखा रॉय
वैश्य में विजेंदर गुप्ता
पंजाबी में पार्टी आशीष सूद या राजकुमार भाटिया पर चल सकती है दांव.


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