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स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से तिरंगा नहीं फहराने वाले दो भारतीय प्रधानमंत्री: गुलजारीलाल नंदा और चंद्रशेखर की कहानी

  यह लेख 12 August 2024 का है।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से तिरंगा नहीं फहराने वाले दो भारतीय प्रधानमंत्री: गुलजारीलाल नंदा और चंद्रशेखर की कहानी

Gulzarilal Nanda and Chandrashekhar

भारत देश हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाता है यह दिवस उन शहीद क्रांतिकारी की याद दिलाता है जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 15 अगस्त 2024 को भारत 78वा स्वतंत्रता दिवस मनाएगा जहां प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसे भी दो प्रधानमंत्री हुए हैं जो लाल किले की प्राचीन से भारत का झंडा नहीं फहरा पाए।

स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले से झंडा फहराया जाता है हालांकि भारत के इतिहास में गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्हें लाल किले की प्राचीन से भारत का झंडा नहीं फहराया दरअसल इसका कारण उनका अल्पकाल कार्यकाल था।

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दोनों प्रधानमंत्री कार्यकाल कम होने की वजह से लाल किले से तिरंगा नहीं कर सके।

भारतीय राजनीति के इतिहास में गुलजारीलाल नंदा दो बार प्रधानमंत्री बने हालांकि दोनों बार उनका कार्यकाल मात्र 13 दिनों का रहा। उन्होंने पहली बार 27 मार्च 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 9 जून 1964 तक उनका कार्यकाल चला वहीं दूसरी बार 11 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री बने। इस बार भी उनका कार्यकाल सिर्फ 13 दिन का रहा और 24 जनवरी 1966 को उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा इसका कारण यह था कि वह दोनों बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे।

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भारत के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने 6 महीने तक प्रधानमंत्री पद संभाला दरसन 90 के दशक में देश में राजनीतिक अस्थिरता रहती थी ऐसे कठिन समय में उन्होंने 10 नवंबर 1990 को कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई हालांकि यह सरकार ज्यादा समय नहीं चली और 6 महीने के अंदर उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा चंद्रशेखर ने 21 जून 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और इस दौरान अगस्त महीना आया ही नहीं जिसके चलते वह लाल किले से तिरंगा नही फहरा पाए।


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