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संसद में अपनी आवाज दबाने का विपक्ष का पुराना आरोप है ऐसे में एक दिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक म्यूट हो गया तो बवाल मच गया

  यह लेख 29 June 2024 का है।

संसद में अपनी आवाज दबाने का विपक्ष का पुराना आरोप है ऐसे में एक दिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक म्यूट हो गया तो बवाल मच गया


संसद में अपनी आवाज दबाने का विपक्ष का पुराना आरोप है ऐसे में एक दिन राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे का माइक म्यूट हो गया तो बवाल मच गया लोकसभा और राज्यसभा में कैसे म्यूट हो जाती है यह कोई टेक्निकल फॉल्ट है या फिर राजनीतिक ग्लिच है ?
18वीं लोकसभा का पहला सत्र का आगाज हूंगा में से हुआ संसद पुरानी हो या नई, सरकार एनडीए की हो या यूपीए की कुछ चीज़ें 20 साल में जरा भी नहीं बदली।

जैसे सत्ता पक्ष के बोलने पर विपक्ष का हंगामा और चिल्लाना कुछ अप्रत्याशित चीजों की बात करें तो राहुल गांधी ने विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए स्पीकर से कहा सर मेरा माइक तो ऑन कीजिए यह सुनते ही अध्यक्ष बोले माइक में बंद नहीं करता यहां कोई बटन नहीं होता सवाल यह है कि फिर लोकसभा में सांसदों के माइक ऑन ऑफ कौन करता है?

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संसद में अपनी आवाज दबाने का विपक्ष का पुराना आरोप है ऐसे में आरोप लगा कि लोकसभा में राहुल गांधी का माइक म्यूट कर दिया गया वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का भी माइक बंद कर दिया गया आवाज दबा दी गई लोकसभा और राज्यसभा में कैसे म्यूट हो जाते हैं यह कोई टेक्निकल फॉल्ट है या फिर राजनीतिक ग्लिच स्पीकर ने कहा उनके पास ऑन ऑफ का बटन नहीं है तो फिर बटन किसके पास है? लोकसभा में राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के बीच नीट पर चर्चा चाहते थे ।

स्पीकर उन्हें रूल बता रहे थे तभी राहुल का माइक कुछ सेकंड म्यूट हो गया विपक्ष ने शोर किया तो स्पीकर ने साफ किया कि उनके पास बटन नहीं होता।

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अब सवाल यह है की बहस के बीच किसी कमाई की यदि बंद करना जरूरी हो तो क्या व्यवस्था है इसके लिए लोकसभा अध्यक्ष सीधे तौर पर माइक बंद करने के लिए नहीं कहते ऐसे निर्देश संकेत में दिए जाते हैं संसद सदस्यों के मौकों के स्विच लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के दोनों और बैठे साउंड इंजीनियरों के पास होते हैं केवल उन्हीं के पास हर एमपी के माइक का नंबर और उसकी कंट्रोलिंग पावर होती है।

दरअसल राहुल गांधी लोकसभा में पुरानी लीक के बजाय नई रीत पर आगे बढ़ने पर अड़े थे परंपरा यह है कि संसद सत्र की शुरुआत में जब राष्ट्रपति दोनों सदनों को संबोधित करती है तो उसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में उनके अभी भाषण पर चर्चा होती है फिर अन्य मुद्दों पर सवाल जवाब यानी चर्चा का दौर आगे बढ़ता है।

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