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नौकरशाही में लेटरल एंट्री पर यू टर्न के बाद अब केंद्र सरकार आईएएस की सालाना भारती की संख्या बढ़ाने के ऊपर विचार कर रही है।

नौकरशाही में लेटरल एंट्री पर यू टर्न के बाद अब केंद्र सरकार आईएएस की सालाना भारती की संख्या बढ़ाने के ऊपर विचार कर रही है।

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नौकरशाही में लेटरल एंट्री पर यू टर्न के बाद अब केंद्र सरकार आईएएस की सालाना भारती की संख्या बढ़ाने के ऊपर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा गठित कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें भी अफसरों की संख्या बढ़ाने की सिफारिश की गई है सालाना अफसरों की यह भारती की संख्या 2012 से स्थिर है केंद्र सरकार आईएएस की कमी के बावजूद इस संख्या को बढ़ने से इनकार करते आए हैं।

राज्य सरकारें भी आईएएस अफसर की भर्ती संख्या बढ़ाने की मांग करती आई है अब तक केंद्र का तर्क रहा है की संख्या बढ़ने से नौकरशाही की कार्यशैली की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है केंद्र का मानना है कि यह एक पिरामिड के रूप में काम करता है प्रत्येक अफसर का लक्ष्य एक दिन शिखर पर पहुंचना होता है अफसरों की ज्यादा संख्या होने पर सभी का शिखर तक पहुंचना नामुमकिन हो जाएगा इससे उनमें उत्साह कम होगा जिसका सीधा असर सरकार के कामकाज पर पड़ेगा।

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राज्य सरकारी अपने कैडर के अफसरों को केंद्र में डेपुटेशन पर नहीं भेज रही नियम अनुसार 40% आईएएस को सेंट्रल डेपुटेशन रिजर्व में होना चाहिए लेकिन 2014 में 14 प्रतिशत अफसर डेपुटेशन पर थे जो की 2021 में घटकर मात्र 6% रह गए डेपुटेशन के लिए अफसर और संबंधित राज्य की रजामंदी आवश्यक है। अक्सर राज्य सरकारी अपने अफसरों को रिलीव नहीं करती।
केंद्र सरकार राज्यों से बेहतर नीति निर्माण के लिए अफसरों को भेजने की मांग करती है। राज्य सरकारों का कहना है कि उनके पास अफसर की कमी है नए जिले बनने से कलेक्टरों की आवश्यकता है।


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