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लोकसभा सत्र तीखे आरोप और गहमागहमी से भरा रहा।

लोकसभा सत्र तीखे आरोप और गहमागहमी से भरा रहा।


लोकसभा सत्र तीखे आरोप और गहमागहमी से भरा रहा।
संविधान पर चर्चा करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के बीच जोरदार वाद विवाद हो गया।

राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि भारत में लोकतांत्रिक संस्था को कमजोर करने की शुरुआत कांग्रेस ने ही अपने शासन के दौरान की थी। उन्होंने दावा किया कि उनके कार्यकाल में संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया गया और उन्हें अपनी पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

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उन्होंने यह भी कहा कि संविधान की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है लेकिन कांग्रेस ने हमेशा इसे अपना राजनीतिक स्वार्थ समझा और इस्तेमाल किया। आज संविधान के मूल्यों को बचाने की बात कांग्रेस कर रही है यह बात तो एक विडंबना है।

प्रियंका गांधी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए सरकार पर जोरदार निशान साधा। उन्होंने कहा कि संविधान की रक्षा की बात करना जरूरी है लेकिन क्या मौजूदा सरकार संविधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर नहीं कर रही न्यायपालिका चुनाव आयोग और मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास यह संविधान की आत्मा के खिलाफ है।

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यह भी कहा कि सरकार लोकतंत्र का गला घट रही है और जनता की आवाज दबाने का काम भी कर रही है।

बहस के वक्त विपक्षी दलों ने प्रियंका का समर्थन करते हुए सरकार पर हमले किए लेकिन वहीं भाजपा सांसदों ने कांग्रेस पर पुराने समय में की गई लोकतांत्रिक हनन का हवाला देकर पलटवार किया।

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यह बहस सिर्फ राजनीतिक बयान बाजी बनकर रह गई क्योंकि दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया लेकिन किसी ठोस समाधान पर नहीं पहुंच पाए विशेषज्ञों का मानना है कि संसद में इस तरह की बहस संविधान की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर कर सकती है।


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