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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के कानून में बदलाव किया तो विवाद पैदा हो गया

  यह लेख 24 February 2024 का है।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के कानून में बदलाव किया तो विवाद पैदा हो गया


कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के कानून में बदलाव किया तो विवाद पैदा हो गया, भाजपा ने आरोप लगाया कि सट्टा रोड पार्टी मंदिरों के पैसे से अपना खाली खजाना भरना चाहती है कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष विजेंद्र ने तंज कसा की कम को विधानसभा के बाहर एक डोनेशन बॉक्स रखकर मान लेना चाहिए कि वह सरकार नहीं चला पा रहे हैं जिससे लोग दान कर सके भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस और कम सिद्धारमैया वही कर रहे हैं जो पहले गजनी गोरी औरंगजेब और टीपू ने किया था। भाजपा नेताओं समेत कई संतों ने इसे जजिया कर कहा है ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कांग्रेस सरकार का नया संशोधन क्या है और इसे जरिया क्यों कहा जा रहा है।

दरअसल हाल ही में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधायक विधानसभा में पारित हुआ सरकार के मंत्री कह रहे हैं कि प्रावधान 20 साल से है केवल स्लैब बतलाएं परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंग रेड्डी ने कहा कि ज्यादा आए वाली श्रेणी में शामिल मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के लिए 200 तत्कालीन भाजपा सरकार संशोधन लेकर आई थी हालांकि भाजपा का रही है कि कर्नाटक कांग्रेस की बुरी नजर हिंदू मंदिरों पर है।

-पहले आपको बताते हैं कि कर्नाटक में करीब 3500 मंदिर है A श्रेणी में आने वाले 205 मंदिरों की सालाना आय 25 लख रुपए से ज्यादा है।  B श्रेणी के 193 मंदिरों की आय 5 से 25 लख रुपए के बीच है। तीसरी यानी C स्तर पर आने वाले 3000 मंदिरों की आय ₹500000 से कम है।
-कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 19 मई 2003 को ही लागू हुआ था।
सी श्रेणी में आने वाले 3000 मंदिरों से -धार्मिक परिषद को कोई पैसा नहीं मिलता है।
-5 से 25 लख रुपए के बीच की आय वाले मंदिरों से आई का 5% 23 से धार्मिक परिषद को जा रहा है।
-कांग्रेस सरकार के मंत्री ने बताया कि अब हमने 10 लख रुपए तक आए वाले मंदिरों को धार्मिक परिषद को भुगतान करने से मुक्त कर दिया है।
-हां ऐसे मंदिरों से 5% राशि वसूलने का प्रावधान किया है जिनकी आय 10 लख रुपए से एक करोड रुपए के बीच है।
-जिन मंदिरों की आए एक करोड रुपए से अधिक है उनसे 10% राजस्व वसूला जाएगा यह सारी राशि धार्मिक परिषद तक पहुंचेगी।

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मंदिर से टैक्स लेने की जरूरत क्या है कर्नाटक सरकार का कहना है कि राज्य में 40000 से 50000 पुजारी है राज्य सरकार उनकी मदद करना चाहती है अगर यह धनराशि धार्मिक परिषद तक पहुंचती है तो हम उन्हें बीमा कर दे सकते हैं सरकार जाती है कि अगर उनके साथ कुछ होता है तो परिवारों को कम से कम 5 लख रुपए मिले प्रीमियम का भुगतान करने के लिए सरकार को 7 से 8 करोड रुपए की आवश्यकता है मंत्री ने कहा कि सरकार मंदिर के कुछ पुजारी के बच्चों को छात्रवृत्ति देना चाहती है जिसके लिए सालाना 5 से 6 करोड रुपए की आवश्यकता हैइस पूरी राशि से केवल मंदिर के पुजारी को फायदा होगा जिनमें से कई की हालत खराब है सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि यह विधेयक का उद्देश्य ए श्रेणी में आने वाले मंदिरों के अधिकार क्षेत्र में तीर्थ यात्रियों को सुविधा और सुरक्षा प्रदान करना है।

भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस जरिया वसूल रही है भाजपा प्रवक्ता शहजाद जय हिंद ने कहा हिंदू विरोधी कांग्रेस ने मंदिरों पर 10% कर लगाकर औरंगजेब को गौरवान्वित महसूस करने वाला को कम किया है यह आधुनिक जरिया है दरअसल मुस्लिम शासन के समय गैर मुस्लिम जनता से वसूला जाने वाला कर जरिया होता था इसके बाद ही गैर मुस्लिम लोग अपने धर्म का पालन कर सकते थे


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