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चुनाव आयोग पर आज़ाद का सवाल: 65 लाख वोटरों की सूची से कटौती पर उठे गंभीर आरोप

चुनाव आयोग पर आज़ाद का सवाल: 65 लाख वोटरों की सूची से कटौती पर उठे गंभीर आरोप

ECI

बड़ी देर से चंद्रशेखर आज़ाद ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग तब सही था या आज सही है? क्योंकि ठीक एक साल पहले लोकसभा चुनाव की वोटर लिस्ट और आज विधानसभा चुनाव की वोटर लिस्ट—दोनों ही चुनाव आयोग ने ही तैयार की थीं। तब कैसे सही थीं और अब कैसे गलत हो गईं? आखिर 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से कैसे कट सकते हैं?

सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या यह सब विधानसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है? चाहे एक वोट की चोरी हो या किसी मतदाता को वोट डालने से रोकना हो—यह सब संवैधानिक अधिकार पर चोट है।

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आजाद ने कहा कि चुनाव आयोग की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखकर लगता है कि चुनाव आयुक्त शायद रिटायरमेंट के बाद किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वॉइन करने वाले हैं। क्योंकि उनकी भाषा एक जिम्मेदार अधिकारी की नहीं, बल्कि चुनावी भाषण देने वाले नेता जैसी थी। हमें ऐसा लग रहा था मानो कोई अधिकारी नहीं, बल्कि कोई राजनीतिक व्यक्ति हमसे बात कर रहा हो—जो सवालों से बच रहा था और हर मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा था।

यह जवाब पर्याप्त नहीं है। अगर सवाल पूछा गया है तो आयोग को जिम्मेदारी से जवाब देना चाहिए। जनता सब देख रही है—आपको भी, पक्ष और विपक्ष दोनों को। और जनता के मन में भय पैदा हो रहा है।

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आज़ाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से ऊपर तो आप हैं नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने जब आदेश दिया और स्पष्टीकरण मांगा, तभी आपने 65 लाख मतदाता क्यों हटाए? क्यों डिलीट किए? सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन कीजिए और साफ-साफ जवाब दीजिए।

अगर आप सही हैं तो स्पष्ट होना चाहिए—दूध का दूध और पानी का पानी। अब पूरा देश और जनता आपकी तरफ देख रही है, और चुनाव आयोग को पारदर्शिता के साथ जवाब देना ही होगा।

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