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चंद्रशेखर आज़ाद की पहल: क्या हर अदालत में बाबा साहेब की तस्वीर लगनी चाहिए?

चंद्रशेखर आज़ाद की पहल: क्या हर अदालत में बाबा साहेब की तस्वीर लगनी चाहिए?


दोस्तों, राजनीति में कभी-कभी ऐसे मुद्दे उठते हैं जो सीधा जनता के दिल को छू जाते हैं। यूपी के नगीना से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने एक ऐसा ही बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने देश के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई को एक चिट्ठी लिखी है—और ये चिट्ठी इस वक्त राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा का विषय बनी हुई है।
आख़िर मांग क्या है?

चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा है कि देश के हर न्यायालय—सुप्रीम कोर्ट हो, हाई कोर्ट हो या निचली अदालतें—सबमें भारतीय संविधान के निर्माता, आधुनिक भारत के शिल्पकार और शोषित-वंचितों के मुक्तिदाता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लगाई जाए।

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अब सोचिए ज़रा, संविधान की नींव रखी बाबा साहेब ने… न्यायपालिका उसी नींव पर खड़ी है… और उसी न्यायपालिका में अगर उनकी तस्वीर न हो तो तस्वीर अधूरी नहीं लगती? यही सवाल आजाद ने उठाया है।

अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि बाबा साहेब सिर्फ संविधान निर्माता ही नहीं थे, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और समान न्याय व्यवस्था के मार्गदर्शक भी रहे हैं। उन्होंने दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को आवाज़ दी, और समानता का अधिकार दिलाया। दोस्तों, ये मांग सिर्फ एक फोटो लगाने की नहीं है… ये उस सोच का सम्मान है जिसने भारत को लोकतंत्र और न्याय का असली स्वरूप दिया। यही वजह है कि चंद्रशेखर आज़ाद की यह पहल अब देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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तो सवाल उठता है—क्या सच में हर अदालत में बाबा साहेब की तस्वीर लगनी चाहिए? क्या इससे न्यायपालिका और संविधान की गरिमा और बढ़ेगी? ये बहस अब सिर्फ कोर्ट रूम की नहीं, बल्कि हर गली-मोहल्ले की है।


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