यह लेख 02 February 2024 का है।
बिहार की सत्ता में करीब 17 महीने बाद भारतीय जनता पार्टी ने वापसी की है।
2 February 2024 18:36 IST
| लेखक:
The Pillar Team
Bihar

बिहार की सत्ता में करीब 17 महीने बाद भारतीय जनता पार्टी ने वापसी की है, नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में बीजेपी इस बार नहीं उम्मीद और नई शर्तों के साथ आई है इसलिए सरकार बनी तो भारतीय जनता पार्टी दफ्तर में जमकर जश्न भी बना पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भी देखने को मिला लेकिन आपको पता है कि नीतीश कुमार के एनडीए में आने के बाद चिराग पासवान उपेंद्र कुशवाहा और जितेंद्र राम मांझी का क्या होगा तो आपको बताते हैं कि बिहार में छोटे दलों को साडे रखना भी सभी दलों की अपनी मजबूरी है जातीय आंकड़े और वोट बैंक के लिए हर पार्टी हर नेता एक दूसरे से तालमेल बनाने को मजबूर है। बिल्कुल ऐसे ही भारतीय जनता पार्टी ने भी छोटे दलों को साथ कर रखा है लेकिन कैसे आगे जानते हैं।
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा जब रविवार को पटना पहुंचे तो चिराग पासवान उनके साथ थे इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा को भी फोन करके शपथ सामान रो में बुलाया गया यानी भाजपा ने अपनी ओर से साफ कर दिया कि नीतीश के आने से उन दलों की अहमियत पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो पहले से ही एनडीए के साथ है यह सब बीजेपी को इसलिए भी करना पड़ा क्योंकि पहले से ही यह चुनौती थी कि नीतीश कुमार आए तो गठबंधन के दूसरे साथियों का क्या होगा अब ऐसे में यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि चिराग पासवान का नीतीश से 36 का आंकड़ा है उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश से नाराज होकर ही अपनी पार्टी बनाई इसके अलावा जीतन राम मांझी भी नीतीश को पसंद नहीं करते हैं लेकिन अब सवाल है कि भाजपा ने इस चुनौती को कैसे पार पा लिया और कैसे सभी छोटे दलों को साधने में कामयाब रही?

नीतीश कुमार की जब एनडीए में वापसी हुई तो ऐसी स्थिति में बीजेपी के सामने सवाल यह था कि सभी दलों को कैसे सदा जाए इसलिए जब नीतीश कुमार को साथ लाने की रणनीति बनी तो वह सबसे पहले सहयोगियों से बात की गई 28 जनवरी को दिल्ली में चिराग पासवान खुद अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे इससे पहले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय पटना में उपेंद्र कुशवाहा से मिले जीतन राम मांझी को साधने के लिए बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और अब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी उनके घर मुलाकात करने गए बीजेपी ने बातचीत के जरिए रास्ता निकाला और सहयोगियों को साथ बनाए रखने की पूरी भूमिका तैयार की बदले हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर चिराग पासवान ने भी अपना रूप बदल लिया और नीतीश को लेकर नमी भी दिखाई।
भारतीय जनता पार्टी ने चिराग पासवान को पूरा सम्मान देने का भरोसा दिया यह बात चल ही साफ हो गई थी चिराग को लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे में भी पूरा ख्याल रखने का भरोसा दिया गया है वही उपेंद्र कुशवाहा को यह भरोसा दिया गया कि लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में उनका पूरा ध्यान रखा जाएगा और नीतीश के आने के बावजूद उनके कोटे की सीटों में कटौती नहीं होगी जबकि जितेंद्र मांझी साथ बने रहे इसके लिए आज ही उनके एक विधायक को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और लोकसभा चुनाव में भी सीट देने का भरोसा दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी में एक और सहयोगी पशुपति कुमार पारस है वह केंद्र में मंत्री है और हाजीपुर लोकसभा सीट छोड़ने को तैयार नहीं है यानी अपने भतीजे चिराग के साथ उनका झगड़ा अभी जारी है और बीजेपी के लिए इसे सुलझाना भी चुनौती है बिहार में एक छोटी पार्टी ओवैसी की भी है एम उनके पास फिलहाल एक विधायक है और 2020 में उनके पांच विधायक जीत कर आए थे लेकिन 2022 में तेजस्वी यादव ने चार विधायक अपने पाली में कर लिए इसलिए जब बिहार में फिर से उथल-पुथल है तो ओवैसी ने लालू प्रसाद यादव पर तीखा हमला बोला है।