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भारत में प्रतिभा पलायन: कारण, प्रभाव और समाधान

भारत में प्रतिभा पलायन: कारण, प्रभाव और समाधान


यह खबर सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि एक गंभीर चिंता का विषय है। जब भारत के सबसे प्रतिभाशाली डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, और आईटी विशेषज्ञ विदेशों में बसने के लिए देश छोड़ते हैं, तो इसे ‘ब्रेन ड्रेन’ कहा जाता है। यह सिर्फ़ एक नौकरी बदलने की बात नहीं, बल्कि भारत की बौद्धिक संपदा का बाहर चले जाना है।

लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है? आखिर क्या कारण हैं कि लाखों युवा हर साल अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप जैसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं? क्या भारत उन्हें वह मौके नहीं दे पा रहा जो वे चाहते हैं? और सबसे बड़ा सवाल—क्या हम इस ट्रेंड को रोक सकते हैं?

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आज के इस रिपोर्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि पिछले दो वर्षों में कितने भारतीय विदेश गए, उनके जाने के पीछे क्या वजहें थीं, और भारत सरकार इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है। साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि कैसे दूसरे देश हमारी प्रतिभाओं को आकर्षित कर रहे हैं और भारत में ऐसा क्या बदलाव लाना जरूरी है जिससे हमारे होनहार युवा देश में ही रहकर अपने सपनों को पूरा कर सकें।

सबसे पहले मैं आपको पिछले दो वर्षों में प्रतिभा पलायन के आंकड़े बताती हूं गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में लगभग 2 लाख लोगों ने भारत से पलायन किया जो 2021 की तुलना में 10% अधिक था यह वृद्धि दर्शाता है कि अधिक से अधिक भारतीय पेशेवर विदेश में अवसर की तलाश में है। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार 2023 और 24 में लगभग दो लाख भारतीय पेशवारों ने विदेश में नौकरी के अवसर के लिए भारत छोड़ दिया इसमें से अधिकांश आईटी चिकित्सा इंजीनियरिंग और अनुसंधान क्षेत्र से संबंधित है अमेरिका कनाडा और यूरोपीय देश में इन सबकी अधिक मांग है।

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कुछ मुख्य कारण है जिनकी वजह से यह पलायन होते हैं सबसे पहले बेहतर वेतन और जीवन स्तर विदेश में भारतीय पेशेवरों को उच्च वेतन और उन्नत जीवन स्तर मिलता है जो उन्हें आकर्षित करता है दूसरा शोध और विकास के अवसर विकसित देशों में अनुसंधान और विकास के लिए अधिक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध है जो वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रेरित करती है तीसरा शिक्षा और प्रशिक्षण उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण के अवसर विदेश में अधिक है जो छात्रों और पेशेवरों को आकर्षित करते हैं।

चौथा राजनीतिक और सामाजिक वातावरण कुछ पेशेवर राजनीतिक अस्थिरता भ्रष्टाचार और सामाजिक मुद्दों के कारण विदेश में स्थिरता की तलाश करते हैं

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कुछ ऐसी आकर्षक विशेषताएं भी है जो विदेशों को स्पेशल बनती है।
उन्नत तकनीक और अनुसंधान सुविधा विदेश में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं और अनुसंधान केंद्र उपलब्ध है कार्य संस्कृति की बात करूं तो पेशेवर माहौल कार्य जीवन संतुलन और कैरियर विकास के अवसर बेहतर है तीसरा है आर्थिक स्थिरता मजबूत अर्थव्यवस्था और स्थिर नौकरी बाजार पेशवारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

लेकिन क्या हमारे देश के स्मार्ट और टैलेंटेड workforce को विदेश जाने से रोकने का कोई उपाय है?

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सबसे पहले देश में औद्योगिक करण का विकास करना अधिक उद्योग स्थापित करके रोजगार के अवसर बढ़ाई जा सकते हैं।
दूसरा उच्च शिक्षण संस्थानों तथा उच्च शोध संस्थानों का निर्माण करना उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अनुसंधान सुविधा प्रदान करके छात्रों और शोधकर्ताओं को देश में ही रोका जा सकता है।

तीसरा प्राइवेट नौकरियों में स्थिरता लाना तथा न्यूनतम वेतन की व्यवस्था करना निजी क्षेत्र में नौकरी की स्थिरता और उचित वेतन संरचना सुनिश्चित करके प्रतिभाओं को देश में बनाए रखा जा सकता है।
चौथा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर से जोड़ना शिक्षा प्रणाली को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार सुधारक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ तालमेल बैठक छात्रों को देश में ही आकर्षित किया जा सकता है।

पांचवा भारतीय बाजार को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना वैश्विक बाजार के साथ भारतीय उद्योगों का एकीकरण करके पेशवारों को देश में ही बेहतर अवसर प्रदान किया जा सकते हैं।
छठा राजनीतिक अशांति को स्थिर करना राजनीतिक स्थिरता और भ्रष्टाचार में कमी लाकर पेशेवरों का विकास देश में बढ़ाया जा सकता है।

ऐसा नहीं है कि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। भारत सरकार ने प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए बहुत से कदम उठाए हैं जैसे की प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन यह दिवस प्रवासी भारतीयों को देश के विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
दूसरा भारतीय मूल का व्यक्ति pio और ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ़ इंडिया oci कार्डों का विलय इससे प्रवासी भारतीय कि भारत आवाजाही में सुधार हुई है।

तीसरी योजना है वज्र योजना यह योजना प्रवासी वैज्ञानिकों और तकनीकी विशेषज्ञों को भारत में अनुसंधान और विकास के लिए प्रोत्साहित करती है।

फिर है know इंडिया प्रोग्राम यह कार्यक्रम 18 से 30 वर्ष के प्रवासी भारतीय युवाओं को भारत की संस्कृति इतिहास और विकास से परिचित कराने के लिए आयोजित किया जाता है।
लेकिन क्या सिर्फ इतना काफी है अगर होता तो इस तेजी से पलायन नहीं हो रहे होते।

प्रतिभा पलायन केवल एक संख्या नहीं, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक गंभीर चुनौती है। जब हमारे वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर, और शोधकर्ता विदेशों में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे होते हैं, तब हमें यह सोचने की जरूरत है कि आखिर वह अपने देश में ही यह क्यों नहीं कर पा रहे?

भारत के पास अपार मानव संसाधन और बेजोड़ प्रतिभा है। जरूरत है तो सिर्फ एक ऐसा वातावरण तैयार करने की, जहां हर युवा को अपने सपनों को साकार करने का मौका मिले, जहां शोध और नवाचार को बढ़ावा मिले, और जहां हर नागरिक को यह विश्वास हो कि देश में रहकर भी वह विश्वस्तरीय सफलता प्राप्त कर सकता है।

सरकार की नीतियों, शिक्षा प्रणाली और कार्य संस्कृति में सुधार कर, हम इस ‘ब्रेन ड्रेन’ को ‘ब्रेन गेन’ में बदल सकते हैं। बदलाव संभव है, लेकिन इसके लिए सरकार, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर एक मजबूत कदम उठाने होंगे। अगर हम सही दिशा में आगे बढ़ें, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया के सबसे बड़े टैलेंट निर्यातक से, इनोवेशन और रिसर्च का ग्लोबल हब बन जाएगा।

अब वक्त आ गया है कि हम सवाल करें—क्या भारत अपने होनहार युवाओं को रोक पाएगा, या फिर हमें हर साल अपनी ही प्रतिभा को विदेशों में खिलता हुआ देखने के लिए मजबूर होना पड़ेगा?


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