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भारत और चीन के बीच हाल के महीनों में तनाव के बढ़ने के बावजूद, दोनों देशों ने…

भारत और चीन के बीच हाल के महीनों में तनाव के बढ़ने के बावजूद, दोनों देशों ने…

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नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच हाल के महीनों में तनाव के बढ़ने के बावजूद, दोनों देशों ने विवादित सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए सैन्य स्तर पर वार्ता का एक और दौर शुरू करने की घोषणा की है। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के बीच संघर्ष के बाद, यह वार्ता तनाव को कम करने और स्थायी समाधान ढूंढने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

हालिया तनाव और सैन्य गतिरोध

भारत और चीन के बीच 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद से तनाव लगातार बना हुआ है। दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख के कई क्षेत्रों में आमने-सामने तैनात हैं, और सीमावर्ती क्षेत्रों में कई बार दोनों देशों के सैनिकों के बीच छोटे स्तर पर टकराव हुए हैं। हालांकि, दोनों पक्षों ने अब तक बड़े संघर्ष से बचने की कोशिश की है और बातचीत के माध्यम से समाधान की दिशा में काम किया है।

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बातचीत का नया दौर

भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के उच्च अधिकारी जल्द ही एक नई बैठक के लिए तैयार हैं, जिसमें सीमा पर स्थिति को स्थिर करने और सेना की वापसी की प्रक्रियाओं पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक दोनों देशों के बीच पिछले महीनों में हुई उच्च स्तरीय कूटनीतिक वार्ताओं के बाद की जा रही है। इसमें खास तौर पर विवादित क्षेत्रों में गश्त और सैन्य निर्माण से जुड़े मुद्दों पर बात होगी।

सूत्रों के मुताबिक, भारत इस बातचीत में स्पष्ट रूप से यह संदेश देना चाहता है कि किसी भी तरह की उकसावे की कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जबकि चीन अपने सैनिकों की उपस्थिति और सीमा पर निर्माण कार्यों को जारी रखने पर जोर दे सकता है।

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विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर बयान जारी करते हुए कहा कि भारत हमेशा से बातचीत के माध्यम से विवादों को हल करने का पक्षधर रहा है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि “हम चाहते हैं कि चीन के साथ सीमा पर शांति और स्थिरता बनी रहे, लेकिन भारत की संप्रभुता और अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा।”

वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय ने भी बातचीत के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए शांति बनाए रखने पर जोर दिया है। दोनों पक्षों के बीच की यह बातचीत कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संबंधों को सुधारने की एक कोशिश है।

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क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

भारत-चीन सीमा विवाद के इस नए दौर ने अंतरराष्ट्रीय हलकों में भी काफी ध्यान खींचा है। कई विशेषज्ञ इसे एशिया में बढ़ते तनाव के तौर पर देख रहे हैं, जहां दो शक्तिशाली देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। भारत की कूटनीतिक नीति में भी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं, जिसे चीन ने हमेशा संदेह की नजर से देखा है।

आने वाले समय में उम्मीद

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह वार्ता सफल होती है, तो दोनों देशों के बीच सीमाई क्षेत्रों में तनाव में कमी आ सकती है। हालांकि, अगर बातचीत असफल रहती है, तो LAC पर तनाव और बढ़ सकता है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच किसी बड़ी झड़प की आशंका भी हो सकती है।

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निष्कर्ष

भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की बातचीत का नया दौर उन जटिल मुद्दों को सुलझाने का प्रयास है, जिन्होंने दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित किया है। हालांकि वार्ता का परिणाम क्या होगा, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा, लेकिन शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता एक सकारात्मक संकेत है।


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