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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पक्ष में ना आने के बाद एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के सदस्यों की ओर से प्रतिक्रिया सामने आयी है|

  यह लेख 18 October 2023 का है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पक्ष में ना आने के बाद एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के सदस्यों की ओर से प्रतिक्रिया सामने आयी है|

Supreme Court

कल यानी मंगलवार को समलैंगिक विवाह को लेकर कोर्ट का निर्णय पक्ष में ना आने के बाद एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के सदस्यों की ओर से प्रतिक्रिया सामने आयी है |

दरअसल ,समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने वाले सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के कुछ सदस्यों ने मंगलवार को सड़कों पर अपना संघर्ष जारी रखने और राज्य के साथ संवाद करने का संकलप जताया है. समुदाय के सदस्यों ने अदालती फैसले के निहितार्थ साझा किए और एलजीबीटीक्यू अधिकार आंदोलन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.

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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मंगलवार को सर्वसम्मति से ऐतिहासिक फैसला देते हुए समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह कानून के तहत कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि इस बारे में कानून बनाने का काम संसद का है. न्यायालय ने हालांकि, समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता को इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े.

फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एलजीबीटीक्यू समुदाय की सदस्य चयनिका ने कहा, ‘‘हम निराश हैं लेकिन आगे बढ़ना चाहते हैं… हमारे पास निराश या संतुष्ट होने के लिए कोई जगह नहीं है. हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे.’’ समुदाय की एक अन्य सदस्य वर्षा वर्मा ने फैसले में आशा की किरण की ओर इशारा किया.और वर्मा ने कहा, ‘‘शादी नहीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने माना कि हमें सुरक्षा का अधिकार है.

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साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब हम उच्चतम न्यायालय से कह सकते हैं कि शक्ति वाहिनी फैसले के तहत समलैंगिक जोड़ों को सुरक्षा दी जा जानी चाहिए. अब, राज्यों में, शक्ति वाहिनी प्रकोष्ठ सक्रिय हो सकते हैं और इसका उपयोग समलैंगिक महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए करें. सुरक्षा अब राज्य की जिम्मेदारी है, जो एक बहुत ही सकारात्मक बात है
आपकी इस फैसले पर क्या राय है हमीं ज़रूर बताएं|


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